चंपा को अचरज कब होता है? Champa ko achraj kab hota hai


सवाल: चंपा को अचरज कब होता है?

चंपा तब अचरज में पड़ जाती थी, जब कवि अक्षरों को पढ़ना शुरू कर देता और इन अक्षरों को पड़ने के कारण वह स्वर कैसे निकलते हैं, वह स्वर की ध्वनि को सही रूप से समझ नहीं पाती थी। इस कारण चंपा अचरज में पड़ जाती, कि वह क्या कर रहा है। उसे कुछ भी समझ में नहीं आता। इसका कारण यह है, कि चंपा निरक्षर थी। उसे कुछ भी अक्षर का ज्ञान नहीं था, वह बिल्कुल भी अनपढ़ थे। इसलिए कवी हमेशा उससे पढ़ने के लिए बोलता था। वह चंपा को बताता था, कि औरतों को पढ़ाई करनी बहुत आवश्यक है।

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