संगम कालीन संस्कृति की प्रमुख विशेषताएं लिखिए? Sangam kalin sanskriti ki pramukh visheshtayen

संगम कालीन संस्कृति की प्रमुख विशेषताएं लिखिए?


सवाल: संगम कालीन संस्कृति की प्रमुख विशेषताएं लिखिए?

संगम काल (संगम कालीन) को संस्कृति भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण माना जाता है। इस काल में संगम नगरों के साथ संस्कृति का संपर्क हुआ और नगरों में विभिन्न साहित्यिक, कला, संगीत और साहित्यिक कार्यक्रमों का विकास हुआ। यहां कुछ प्रमुख संगम कालीन संस्कृति की विशेषताएं हैं:


1. कला और साहित्य में प्रगति: संगम काल में कला और साहित्य का विकास हुआ। संगीत, नृत्य, काव्य, नाटक और कला के विभिन्न पहलुओं में महत्वपूर्ण योगदान हुआ। नाट्यशास्त्र, कामसूत्र, रत्नाकर, काव्यमिमांसा, कामन्धेनु आदि महत्वपूर्ण साहित्यिक ग्रंथों का उद्भव हुआ।


2. साहित्यिक संगम: संगम काल में विभिन्न भाषाओं और संस्कृति के लोगों के बीच साहित्यिक संगम हुआ। तमिल संगम लिटरेचर, संस्कृत-प्राकृत संगम लिटरेचर, संस्कृत-पल्लव संगम लिटरेचर और संस्कृत-कन्नड़ संगम लिटरेचर आदि उदाहरण हैं।


3. भारतीय संगीत का विकास: संगम काल में भारतीय संगीत का विकास हुआ और विभिन्न गायन शैलियों का उद्भव हुआ। राग और ताल के विकास के साथ-साथ गायन, वादन और ताल के बीच संगीतीय संगति भी हुई।


4. भारतीय शास्त्रीय नृत्य का उद्भव: संगम काल में भारतीय शास्त्रीय नृत्य का उद्भव हुआ। नटराजन के मूर्तियां, ब्रोंज ब्रह्मदेव की मूर्तियां और नृत्यशास्त्र के ग्रंथों में इसकी प्रस्तुति हुई।


5. संगम कालीन वाणिज्यिक गतिविधियां: संगम काल में व्यापार और वाणिज्यिक गतिविधियों में वृद्धि हुई। नगरों में व्यापारिक कार्यालय और वाणिज्यिक सेंटर बने, जिनसे वाणिज्यिक गतिविधियाँ विस्तार पाई।


ये प्रमुख विशेषताएं संगम कालीन संस्कृति को विशेष बनाती हैं और इसका व्यापक महत्व भारतीय संस्कृति में होता है।

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