सांवरे से मिलने का सत्संग ही बहाना है लिखित में? Sanware se milne ka satsang hi bahana hai likhit mein


सवाल: सांवरे से मिलने का सत्संग ही बहाना है लिखित में?

श्याम तुमसे मिलने का सत्संग ही बहाना है

दुनिया वाले क्या जाने मेरा रिश्ता पुराना है

जब से तेरी लगन लगी दिल हुआ दीवाना है

सूरज में ढूँढा तुझे, चंदा में पाया है

तारो की झिलमिल में मेरे श्याम का बेसरा है

फुलो में ढूँढा तुझे, बागियो में पाया है

कलियों की खुश्बू में मेरे श्याम का बसेरा हैं

गंगा में ढूँढा तुझे, यमुना में पाया हैं

गोदावरी के लेहरो में मेरे श्याम का बेसरा है

गोकुल में ढूँढा तुझे, मथुरा में पाया है

वृंदावन की गलियों में मेरे श्याम का बेसरा है

रामायण में ढूँढा तुझे, भागवत में पाया है

गीता जी श्लोको में मेरे श्याम का बेसरा है

जंगलओ में ढूँढा तुझे, मंदिरों में पाया है

भगतो की दिलों में मेरे श्याम का बेसरा है

श्याम तुमसे मिलने का सत्संग ही बहाना है

दुनिया वाले क्या जाने मेरा रिश्ता पूर्णा है

इस भजन में, एक भक्त अपने प्रियतम भगवान कृष्ण के प्रति अपनी गहरी भक्ति और प्रेम व्यक्त करती है। वह कहती है कि वह कृष्ण से मिलने के लिए बेताब है, और वह सत्संग का उपयोग केवल एक बहाना के रूप में करती है।

भजन में, भक्त भगवान कृष्ण को विभिन्न स्थानों पर ढूंढने की कोशिश करती है, लेकिन वह उन्हें नहीं पाती है। अंत में, वह समझ जाती है कि भगवान कृष्ण उसके दिल में रहते हैं।

भजन का अंत भक्त के इस विश्वास के साथ होता है कि उसका रिश्ता कृष्ण के साथ पूर्ण है।

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