गुरु बीजाणु जनन को परिभाषित करें?
सवाल: गुरु बीजाणु जनन को परिभाषित करें?
गुरु बीजाणु जनन एक प्रकार का अलैंगिक प्रजनन है जो फर्न, मॉस और कुछ अन्य पौधों में होता है। इस प्रजनन विधि में, बीजाणुधानी में गुरु बीजाणुओं का निर्माण होता है। गुरु बीजाणु एक कोशिकीय होते हैं और अर्धसूत्री विभाजन द्वारा बनते हैं। गुरु बीजाणु अंकुरित होकर नए पौधे का निर्माण करते हैं।
गुरु बीजाणु जनन की प्रक्रिया निम्नलिखित है:
- बीजाणुधानी का निर्माण: गुरु बीजाणु जनन की प्रक्रिया बीजाणुधानी के निर्माण से शुरू होती है। बीजाणुधानी एक विशेष प्रकार की थैली होती है जिसमें गुरु बीजाणु बनते हैं।
- गुरु बीजाणु का निर्माण: बीजाणुधानी में अर्धसूत्री विभाजन होता है, जिसके परिणामस्वरूप चार गुरु बीजाणु बनते हैं। गुरु बीजाणु एक कोशिकीय होते हैं और द्विगुणित होते हैं।
- गुरु बीजाणु का अंकुरण: गुरु बीजाणु अंकुरित होकर नए पौधे का निर्माण करते हैं। अंकुरण के दौरान, गुरु बीजाणु में समसूत्री विभाजन होता है, जिसके परिणामस्वरूप एक नए पौधे की पत्ती, तना और जड़ बनती हैं।
गुरु बीजाणु जनन के लाभ निम्नलिखित हैं:
- यह एक तेज और आसान तरीका है नए पौधे को उत्पन्न करने का।
- यह एक प्रभावी तरीका है नए पौधे को प्रतिकूल परिस्थितियों से बचाने का।
- यह एक तरीका है नए पौधे को विभिन्न वातावरणों में फैलाने का।
गुरु बीजाणु जनन के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं:
- फर्न में, बीजाणुधानी पत्तियों के नीचे स्थित होती हैं।
- मॉस में, बीजाणुधानी पत्तियों के किनारे पर स्थित होती हैं।
- कुछ शैवाल में, बीजाणुधानी शरीर के किसी भी भाग पर स्थित हो सकते हैं।
गुरु बीजाणु जनन एक महत्वपूर्ण प्रजनन विधि है जो कई प्रकार के पौधों में पाई जाती है। यह पौधों को तेजी से और आसानी से फैलने और प्रतिकूल परिस्थितियों से बचने में मदद करता है।
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