प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में प्रतिघात एवं प्रतिबाधा क्या हैं? Pratyavarti dhara paripath me partighat evam pratibadha kya hai
सवाल: प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में प्रतिघात एवं प्रतिबाधा क्या हैं?
प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में प्रतिघात और प्रतिबाधा दो महत्वपूर्ण अवधारणाएँ हैं। प्रतिघात, किसी प्रेरक कुंडली या संधारित्र द्वारा प्रत्यावर्ती धारा के मार्ग में डाली गई रुकावट को कहते हैं। प्रतिबाधा, किसी प्रत्यावर्ती धारा परिपथ के कुल प्रतिरोध को कहते हैं।
प्रतिघात
प्रतिघात, प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में केवल प्रेरक कुंडली अथवा केवल संधारित्र के द्वार प्रत्यावर्ती धारा के मार्ग में उत्पन्न अवरोध को कहते है।
प्रेरक कुंडली का प्रतिघात, प्रेरकत्व (L) और आवृत्ति (f) के अनुक्रमानुपाती होता है। इसे निम्नलिखित व्यंजक द्वारा व्यक्त किया जाता है:
X_L = 2πfL
जहाँ,
- X_L = प्रेरक कुंडली का प्रतिघात (ओम)
- L = प्रेरकत्व (हेनरी)
- f = आवृत्ति (हर्ट्ज़)
संधारित्र का प्रतिघात, धारिता (C) और आवृत्ति (f) के व्युत्क्रमानुपाती होता है। इसे निम्नलिखित व्यंजक द्वारा व्यक्त किया जाता है:
X_C = 1/(2πfC)
जहाँ,
- X_C = संधारित्र का प्रतिघात (ओम)
- C = धारिता (फ़ारेड)
- f = आवृत्ति (हर्ट्ज़)
प्रतिबाधा
प्रतिबाधा, प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में ओमीय प्रतिरोध, प्रेरक कुंडली और संधारित्र में से दो या दो से अधिक अवयवों के द्वारा डाले गये अवरोध को कहते है।
प्रतिबाधा, निम्नलिखित व्यंजक द्वारा व्यक्त किया जाता है:
Z = √(R^2 + X_L^2)
जहाँ,
- Z = प्रतिबाधा (ओम)
- R = ओमीय प्रतिरोध (ओम)
- X_L = प्रेरक कुंडली का प्रतिघात (ओम)
प्रतिघात और प्रतिबाधा में अंतर यह है कि प्रतिघात, केवल प्रेरक कुंडली या संधारित्र द्वारा उत्पन्न अवरोध है, जबकि प्रतिबाधा, किसी प्रत्यावर्ती धारा परिपथ के कुल प्रतिरोध को कहते हैं। प्रतिबाधा में ओमीय प्रतिरोध, प्रेरक कुंडली का प्रतिघात और संधारित्र का प्रतिघात सभी शामिल होते हैं।
0 Komentar
Post a Comment