गांव का घर शीर्षक कविता का सारांश लिखिए? Gav ka ghar shirshak kavita ka saransh likhiye
सवाल: गांव का घर शीर्षक कविता का सारांश लिखिए?
ज्ञानेंद्रपति द्वारा रचित कविता "गांव का घर" ग्रामीण संस्कृति के पतन पर एक त्रासद कविता है। कवि गांव के घर की यादों को ताजा करते हैं, जो एक समय में एक खुशहाल और समृद्ध स्थान था। हालांकि, अब, गांव का घर अपनी सुंदरता और समृद्धि खो चुका है।
कवि की यादों में, गांव का घर एक सरल और प्राकृतिक स्थान था। घर की चौखट से बाहर निकलने पर, कवि एक विशाल और हरे-भरे खेत को देखता है। खेत में किसान काम कर रहे हैं, और बच्चे खेल रहे हैं। गांव में शांति और सुकून है।
हालांकि, अब, गांव का घर एक अलग स्थान है। खेत बंजर हो गए हैं, और किसान शहरों में चले गए हैं। बच्चे स्कूलों और कॉलेजों में जाते हैं। गांव में शोर और प्रदूषण है।
कवि गांव के घर के पतन के लिए आधुनिकता को जिम्मेदार ठहराता है। वह मानता है कि शहरीकरण और आर्थिक विकास ने ग्रामीण संस्कृति को नष्ट कर दिया है।
कविता का अंत एक दुखद नोट पर होता है। कवि गांव के घर की यादों में डूब जाता है, और वह अपने बचपन के खुशहाल दिनों को फिर से नहीं पाने की भावना को महसूस करता है।
कविता का सारांश निम्नलिखित बिंदुओं में दिया जा सकता है:
- कवि गांव के घर की यादों को ताजा करता है, जो एक समय में एक खुशहाल और समृद्ध स्थान था।
- अब, गांव का घर अपनी सुंदरता और समृद्धि खो चुका है।
- कवि गांव के घर के पतन के लिए आधुनिकता को जिम्मेदार ठहराता है।
- कविता का अंत एक दुखद नोट पर होता है।
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