कायिक संकर तथा सोमाक्लोन में अंतर स्पष्ट करें। Kayik shankar tatha somaclone me antar sapst kare
सवाल: कायिक संकर तथा सोमाक्लोन में अंतर स्पष्ट करें।
कायिक संकर और सोमाक्लोन दोनों ही पादपों के प्रजनन के तरीके हैं जो लैंगिक प्रजनन के बिना नए पौधे उत्पन्न करते हैं। हालांकि, इन दोनों तरीकों के बीच कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं।
कायिक संकरण
कायिक संकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें दो पौधों के ऊतकों को जोड़कर एक संकर पौधा उत्पन्न किया जाता है। यह प्रक्रिया दो प्रकार से की जा सकती है:
- मेरिस्टेम संकरण: इस प्रक्रिया में, दो पौधों के मेरिस्टेम (वृद्धिशील ऊतक) को जोड़कर एक संकर पौधा उत्पन्न किया जाता है।
- प्रतिस्थापन संकरण: इस प्रक्रिया में, एक पौधे के ऊतक को दूसरे पौधे के ऊतक से बदलकर एक संकर पौधा उत्पन्न किया जाता है।
कायिक संकरण के माध्यम से उत्पन्न पौधे में दोनों जनकों के आनुवंशिक गुण होते हैं। हालांकि, ये गुण हमेशा लैंगिक रूप से उत्पन्न पौधों के आनुवंशिक गुणों के समान नहीं होते हैं।
सोमाक्लोन
सोमाक्लोन एक प्रकार का क्लोन है जो एक ही पौधे से उत्पन्न होता है। सोमाक्लोन को आमतौर पर ऊतक संवर्धन तकनीकों का उपयोग करके उत्पन्न किया जाता है। ऊतक संवर्धन में, पौधे के एक छोटे से टुकड़े को एक कृत्रिम माध्यम में उगाया जाता है। इस माध्यम में पौधे को बढ़ने और विकसित होने के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्व होते हैं।
सोमाक्लोन में मूल पौधे के समान आनुवंशिक गुण होते हैं। वे लैंगिक रूप से उत्पन्न पौधों की तुलना में अधिक समान होते हैं।
कायिक संकरण और सोमाक्लोन के बीच अंतर
विशेषता | कायिक संकरण | सोमाक्लोन |
---|---|---|
परिभाषा | दो पौधों के ऊतकों को जोड़कर एक संकर पौधा उत्पन्न करना | एक ही पौधे से उत्पन्न होने वाला क्लोन |
विधि | मेरिस्टेम संकरण या प्रतिस्थापन संकरण | ऊतक संवर्धन |
आनुवंशिकी | दोनों जनकों के गुण होते हैं | मूल पौधे के समान गुण होते हैं |
समानता | लैंगिक रूप से उत्पन्न पौधों की तुलना में अधिक समान होते हैं |
कायिक संकरण और सोमाक्लोन दोनों ही कृषि और अनुसंधान में महत्वपूर्ण तकनीकें हैं। कायिक संकरण का उपयोग नई फसलों और पौधों को विकसित करने के लिए किया जा सकता है, जबकि सोमाक्लोन का उपयोग क्लोन पौधे उत्पन्न करने के लिए किया जा सकता है।
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