पुष्पी पौधों में निषेचन को स्पष्ट कीजिए? Pushpi podho me nishechan ko spasht kijiye
सवाल: पुष्पी पौधों में निषेचन को स्पष्ट कीजिए?
पुष्पी पौधों में निषेचन एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें दो युग्मकों का संलयन शामिल है। एक युग्मक नर युग्मकक है, जो पुंकेसर के परागकोष में बनता है। दूसरा युग्मक मादा युग्मकक है, जो जायांग के अंडाशय में बनता है।
पुष्पी पौधों में निषेचन की प्रक्रिया निम्नलिखित चरणों में होती है:
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परागण: परागण वह प्रक्रिया है जिसमें परागकण अंडाशय तक पहुँचते हैं। परागण की प्रक्रिया हवा, पानी, कीट, पक्षी या अन्य जानवरों द्वारा की जा सकती है।
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परागणक का अंकुरण: जब परागकण अंडाशय तक पहुँचता है, तो वह अंकुरित होता है और एक छोटी नली बनाता है जिसे परागनलिका कहा जाता है।
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परागनलिका का विकास: परागनलिका अंडाशय के गर्भाशय में विकसित होती है और मादा युग्मकक तक पहुँचती है।
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निषेचन: जब परागनलिका मादा युग्मकक तक पहुँचती है, तो नर युग्मकक मादा युग्मकक के साथ संलयन करता है। इस प्रक्रिया को निषेचन कहा जाता है।
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निषेचित बीजांड का विकास: निषेचित बीजांड एक बीज में विकसित होता है। बीज में एक भ्रूण होता है, जो एक नए पौधे में विकसित हो सकता है।
पुष्पी पौधों में निषेचन एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो नए पौधों के विकास की अनुमति देती है।
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