बेटों वाली विधवा शीर्षक कहानी का सारांश लिखिए? Beton Wali vidhwa shirshak kahani ka saransh likhiye Skip to main content

बेटों वाली विधवा शीर्षक कहानी का सारांश लिखिए? Beton Wali vidhwa shirshak kahani ka saransh likhiye


सवाल: बेटों वाली विधवा शीर्षक कहानी का सारांश लिखिए?

बेटों वाली विधवा शीर्षक कहानी मुंशी प्रेमचंद द्वारा रचित एक सामाजिक कहानी है। इस कहानी में एक विधवा महिला फूलमती की कहानी है, जिसके चार बेटे और एक बेटी है। फूलमती के पति की मृत्यु के बाद, उसके बेटे उसे एक आज्ञाकारी और सेवादार दासी के रूप में मानने लगते हैं। वे उसे घर के सभी कामों में लगा देते हैं और उसकी कोई राय नहीं मानते हैं।

फूलमती की बेटी कुमुद भी अपने भाइयों की बात मानती है। वह भी फूलमती को एक दासी के रूप में ही देखती है। फूलमती की हालत बहुत दयनीय हो जाती है। वह थककर चूर हो जाती है, लेकिन उसे कोई सुकून नहीं मिलता है।

एक दिन, फूलमती के बेटे उसकी बेटी कुमुद की शादी एक अधेड़ व्यक्ति से कर देते हैं। फूलमती को इस बात का बहुत दुख होता है। वह सोचती है कि उसके बेटों ने उसकी बेटी की जिंदगी बर्बाद कर दी है।

फूलमती की बेटी कुमुद भी अपने पति से खुश नहीं है। वह अपने घर में एक गुलाम की तरह रहती है। वह अपने माता-पिता के घर जाना चाहती है, लेकिन उसके पति उसे नहीं जाने देते हैं।

एक दिन, फूलमती के बेटे अपने पिता की मृत्यु के बाद संपत्ति के बंटवारे को लेकर आपस में लड़ने लगते हैं। फूलमती भी इस लड़ाई में शामिल हो जाती है। वह अपने बेटों को समझाने की कोशिश करती है कि उन्हें अपने पिता की संपत्ति को मिल-जुलकर बांटना चाहिए।

फूलमती की बातों को सुनकर उसके बेटे बहुत गुस्सा हो जाते हैं। वे उसे एक बूढ़ी औरत कहकर अपमानित करते हैं। फूलमती को अपने बेटों की इस हरकत से बहुत दुख होता है। वह समझ जाती है कि उसके बेटे उसे कभी अपना नहीं मानेंगे।

फूलमती अपने बेटों के घर से निकलकर एक मंदिर में रहने लगती है। वह मंदिर में भगवान से प्रार्थना करती है कि वह उसके बेटों को समझ दे।

एक दिन, फूलमती की बेटी कुमुद उसके पास मंदिर में आती है। कुमुद को अपने माता-पिता के घर आने का बहुत मन होता है, लेकिन वह अपने पति से डरती है। फूलमती उसे अपने साथ रहने के लिए कहती है। कुमुद उसकी बात मान जाती है और वह अपने पति को छोड़कर अपनी मां के साथ रहने लगती है।

फूलमती और कुमुद दोनों मिलकर एक छोटा सा घर बनाती हैं। वे उस घर में बहुत खुशी से रहती हैं। फूलमती को अपने जीवन में पहली बार ऐसा लगता है कि वह एक स्वतंत्र और सम्मानित व्यक्ति है।

बेटों वाली विधवा कहानी एक सामाजिक कहानी है जो भारतीय समाज में विधवाओं की स्थिति को दर्शाती है। कहानी में दिखाया गया है कि विधवाओं को समाज में एक हीन और उपेक्षित स्थिति में रखा जाता है। उन्हें एक दासी की तरह माना जाता है। कहानी में फूलमती के माध्यम से एक विधवा महिला की पीड़ा और संघर्ष को बखूबी दर्शाया गया है।

कहानी की प्रमुख थीम निम्नलिखित हैं:

  • भारतीय समाज में विधवाओं की स्थिति
  • माता-पिता और बच्चों के बीच संबंध
  • स्वतंत्रता और सम्मान की आवश्यकता

कहानी का अंत सुखद है। फूलमती और कुमुद मिलकर अपने जीवन में खुशी पाती हैं। कहानी का अंत एक सकारात्मक संदेश देता है कि विधवाओं को भी एक सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार है।

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