संविधान सभा ने भाषा के विवाद को हल करने के लिए रास्ता निकाला इसकी व्याख्या करें।
सवाल: संविधान सभा ने भाषा के विवाद को हल करने के लिए रास्ता निकाला इसकी व्याख्या करें।
भारत एक बहुभाषी राष्ट्र है, जिसमें 22 आधिकारिक भाषाएँ हैं। जब भारत को स्वतंत्रता मिली, तो भाषा का विवाद एक महत्वपूर्ण मुद्दा था। कुछ लोग चाहते थे कि हिंदी को भारत की एकमात्र आधिकारिक भाषा बनाया जाए, जबकि अन्य लोग चाहती थीं कि सभी 22 भाषाओं को समान दर्जा दिया जाए।
संविधान सभा ने भाषा के विवाद को हल करने के लिए एक समझौता किया। संविधान के अनुच्छेद 343 में, हिंदी को भारत की राजभाषा का दर्जा दिया गया है, लेकिन यह भी कहा गया है कि अंग्रेजी को 15 वर्षों तक संसद और न्यायिक कार्यों में उपयोग करने की अनुमति दी जाएगी। इसके अलावा, संविधान ने 22 आधिकारिक भाषाओं को मान्यता दी है।
संविधान सभा का भाषा विवाद को हल करने का तरीका एक समझौता था जो सभी पक्षों को स्वीकार्य था। यह एक महत्वपूर्ण समझौता था जिसने भारत की एकता और अखंडता को बनाए रखने में मदद की है।
यहाँ भाषा के विवाद को हल करने के लिए संविधान सभा द्वारा अपनाए गए कुछ उपाय दिए गए हैं:
- हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया, लेकिन अंग्रेजी को 15 वर्षों तक संसद और न्यायिक कार्यों में उपयोग करने की अनुमति दी गई।
- 22 आधिकारिक भाषाओं को मान्यता दी गई।
- संविधान में एक प्रावधान किया गया है जो सरकार को विभिन्न भाषाओं के बीच संवाद और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए उपाय करने की आवश्यकता है।
इन उपायों ने भारत को एक बहुभाषी राष्ट्र के रूप में सफलतापूर्वक विकसित होने में मदद की है।
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