दिशाओं को मृदंग की तरह बजाने से क्या तात्पर्य है? Dishao ko mridang ki tarah bajane se kya taatparye hai
सवाल: दिशाओं को मृदंग की तरह बजाने से क्या तात्पर्य है?
दिशाओं को मृदंग की तरह बजाने से तात्पर्य है कि जब बच्चे ऊँची दीवारों से छतों पर कूदते हैं तो उनकी पदचापों से एक मनोरम संगीत उत्पन्न होता है। यह संगीत मृदंग की ध्वनि की तरह लगता है। साथ ही बच्चों का शोर भी चारों दिशाओं में गूँजता है।
यह एक प्रतीकात्मक अभिव्यक्ति है। कवि यह कहना चाहता है कि बच्चों का पतंग उड़ाना एक आनंदमय और उत्साहपूर्ण अनुभव है। जब बच्चे पतंग उड़ाते हैं तो वे उल्लास से भर जाते हैं। वे छतों पर कूदते-भागते हैं। उनकी पदचापों की आवाज़ और उनके उत्साह का शोर चारों दिशाओं में गूँजता है। यह संगीत मृदंग की ध्वनि की तरह लगता है।
यह प्रतीकात्मक अभिव्यक्ति भारतीय संस्कृति में मृदंग के महत्व को भी दर्शाती है। मृदंग एक लोकप्रिय भारतीय वाद्ययंत्र है। इसे उत्सवों और समारोहों में बजाया जाता है। यह एक मंगलमय वाद्ययंत्र माना जाता है।
कवि का यह प्रतीकात्मक प्रयोग बच्चों के पतंग उड़ाने के आनंद और उत्साह को व्यक्त करने के लिए एक प्रभावी तरीका है। यह भारतीय संस्कृति में मृदंग के महत्व को भी दर्शाता है।
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