हिन्दी की ध्वनियों के बारे में संक्षिप्त वर्णन कीजिए। Hindi ki dhaniyo ke bare me sankshipt varnan kijiye
सवाल: हिन्दी की ध्वनियों के बारे में संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
हिन्दी की ध्वनियाँ दो प्रकार की होती हैं: स्वर और व्यंजन।
स्वर वे ध्वनियाँ हैं जिनके उच्चारण के लिए किसी अन्य ध्वनि की सहायता नहीं लेनी पड़ती है। हिन्दी में स्वर ध्वनियाँ निम्नलिखित होती हैं:
- अ
- आ
- इ
- ई
- उ
- ऊ
- ऋ
- ए
- ऐ
- ओ
- औ
व्यंजन वे ध्वनियाँ हैं जिनके उच्चारण के लिए किसी अन्य ध्वनि की सहायता लेनी पड़ती है। हिन्दी में व्यंजन ध्वनियाँ निम्नलिखित होती हैं:
- क
- ख
- ग
- घ
- ङ
- च
- छ
- ज
- झ
- ञ
- ट
- ठ
- ड
- ढ
- ण
- त
- थ
- द
- ध
- न
- प
- फ
- ब
- भ
- म
- य
- र
- ल
- व
- श
- ष
- स
- ह
अयोगवाह वे ध्वनियाँ हैं जो स्वर और व्यंजन के मध्यवर्ती होती हैं। हिन्दी में अयोगवाह ध्वनियाँ दो हैं:
- अँ
- अः
स्वर
स्वर ध्वनियाँ उच्चारण के समय कंठ, तालु, मूर्धा, जिह्वा, ओष्ठ आदि अंगों की भिन्न-भिन्न स्थिति से बनती हैं। हिन्दी में स्वर ध्वनियाँ 12 होती हैं। इनमें से 10 सवर्ण और 2 अयोगवाह हैं।
व्यंजन
व्यंजन ध्वनियाँ उच्चारण के समय जीभ, तालु, दाँत, होंठ आदि अंगों के परस्पर स्पर्श या सन्निकटता से बनती हैं। हिन्दी में व्यंजन ध्वनियाँ 45 होती हैं। इनमें से 23 स्पर्श, 16 ऊष्म, 4 संयुक्त व्यंजन और 2 अयोगवाह हैं।
स्वर और व्यंजन के भेद
स्वर और व्यंजन के बीच निम्नलिखित भेद हैं:
- उच्चारण के समय
- स्वर ध्वनियाँ उच्चारण के समय स्वतंत्र रूप से उच्चारित होती हैं, जबकि व्यंजन ध्वनियाँ स्वरों के साथ उच्चारित होती हैं।
- अवधि
- स्वर ध्वनियाँ की अवधि व्यंजन ध्वनियों की तुलना में अधिक होती है।
- प्रभाव
- स्वर ध्वनियाँ व्यंजन ध्वनियों की तुलना में अधिक प्रभावशाली होती हैं।
स्वर और व्यंजन की ध्वनियों का प्रयोग
स्वर और व्यंजन की ध्वनियों का प्रयोग निम्नलिखित प्रकार से किया जाता है:
- स्वर ध्वनियाँ
- स्वर ध्वनियाँ शब्द के आरंभ, मध्य और अंत में आ सकती हैं।
- स्वर ध्वनियाँ शब्द के अर्थ को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
- व्यंजन ध्वनियाँ
- व्यंजन ध्वनियाँ शब्द के आरंभ, मध्य और अंत में आ सकती हैं।
- व्यंजन ध्वनियाँ शब्द के अर्थ को निर्धारित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
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