मानव विचलन को परिभाषित कीजिए? Manav vichalan ko paribhasit kijiye
सवाल: मानव विचलन को परिभाषित कीजिए?
मानव विचलन, एक सामान्य व्यवहार से किसी व्यक्ति के व्यवहार में होने वाले परिवर्तन को कहते हैं। यह परिवर्तन सामाजिक मानदंडों या अपेक्षाओं के विपरीत होता है। मानव विचलन को कई तरह से परिभाषित किया जा सकता है, लेकिन सामान्य तौर पर यह निम्नलिखित विशेषताओं को प्रदर्शित करता है:
- असामान्यता: मानव विचलन एक सामान्य व्यवहार से अलग होता है।
- अनुकूलता: मानव विचलन सामाजिक मानदंडों या अपेक्षाओं के अनुकूल नहीं होता है।
- निष्क्रियता: मानव विचलन किसी व्यक्ति के सक्रिय प्रयास के बिना भी हो सकता है।
मानव विचलन के कई प्रकार होते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- आपराधिक विचलन: अपराध एक प्रकार का मानव विचलन है जिसमें किसी व्यक्ति का कार्य कानून का उल्लंघन करता है।
- सामाजिक विचलन: सामाजिक विचलन एक प्रकार का मानव विचलन है जिसमें किसी व्यक्ति का कार्य सामाजिक मानदंडों या अपेक्षाओं के अनुकूल नहीं होता है।
- मनोवैज्ञानिक विचलन: मनोवैज्ञानिक विचलन एक प्रकार का मानव विचलन है जिसमें किसी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य में समस्या होती है।
मानव विचलन के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- व्यक्तिगत कारक: व्यक्तिगत कारकों में जैविक कारक, मनोवैज्ञानिक कारक, और सामाजिक कारक शामिल हैं।
- पर्यावरणीय कारक: पर्यावरणीय कारकों में सामाजिक परिस्थितियाँ, आर्थिक स्थितियाँ, और सांस्कृतिक कारक शामिल हैं।
मानव विचलन के कई प्रभाव हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- व्यक्तिगत स्तर पर: मानव विचलन व्यक्तिगत स्तर पर व्यक्ति के जीवन को प्रभावित कर सकता है, जैसे कि उसे सामाजिक रूप से अलग-थलग कर सकता है, या उसे कानूनी समस्याओं में फंसा सकता है।
- सामाजिक स्तर पर: मानव विचलन सामाजिक स्तर पर समाज को प्रभावित कर सकता है, जैसे कि अपराध दर को बढ़ा सकता है, या सामाजिक व्यवस्था को कमजोर कर सकता है।
मानव विचलन एक जटिल समस्या है जिसे समझने और उसका समाधान करने के लिए कई कारकों पर विचार करने की आवश्यकता होती है।
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