ओम के नियम को समझाइए? Om ke niyam ko samjhaye
सवाल: ओम के नियम को समझाइए?
ओम का नियम एक विद्युत कानून है जो किसी चालक के सिरों पर उत्पन्न विभवान्तर (V) और उसमें प्रवाहित धारा (I) के बीच संबंध स्थापित करता है। इस नियम के अनुसार, यदि ताप आदि भौतिक अवस्थायें नियत रखीं जाए तो किसी प्रतिरोधक (या, अन्य ओमीय युक्ति) के सिरों के बीच उत्पन्न विभवान्तर उससे प्रवाहित धारा के समानुपाती होता है।
इस नियम को गणितीय रूप में निम्न प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है:
V = IR
जहाँ,
- V = विभवान्तर (वोल्ट)
- I = धारा (एम्पियर)
- R = प्रतिरोध (ओम)
ओम का नियम केवल उन चालकों पर लागू होता है जो ओमीय होते हैं। ओमीय चालक वे होते हैं जिनका V-I वैशिष्ट्य एक सरल रेखा होती है। उदाहरण के लिए, ताँबे, लोहे, एल्युमिनियम आदि धातुएँ ओमीय होती हैं।
ओम का नियम विद्युत के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण नियम है। इसका उपयोग विभिन्न प्रकार के विद्युत उपकरणों के कार्य को समझने और उनका उपयोग करने में किया जाता है।
ओम के नियम के कुछ अनुप्रयोग निम्नलिखित हैं:
- विद्युत परिपथों की डिजाइन और विश्लेषण
- विद्युत उपकरणों की शक्ति और ऊर्जा की खपत का निर्धारण
- विद्युत शक्ति के प्रवाह का नियंत्रण
ओम का नियम 1827 में जर्मन भौतिक विज्ञानी जॉर्ज ओम द्वारा प्रतिपादित किया गया था। इस नियम को प्रतिपादित करने के लिए उन्होंने एक प्रयोग किया जिसमें उन्होंने एक ताँबे के तार के सिरों पर विभिन्न विभवान्तर लगाकर उसमें प्रवाहित धारा को मापा। उन्होंने पाया कि विभवान्तर और धारा के बीच एक सीधी रेखीय संबंध होता है।
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