प्रतिध्वनि किसे कहते हैं? Pratidhvani kise kahate hain
सवाल: प्रतिध्वनि किसे कहते हैं?
जब किसी स्रोत से उत्पन्न ध्वनि आगे जाकर किसी वस्तु (जैसे दीवार, पहाड़) से टकराकर पुन: स्रोत के पास वापस लौटती है तो इसे प्रतिध्वनि कहते हैं। वस्तुत: यह ध्वनि के परावर्तन का परिणाम है जो कुछ देर बाद स्रोत के पास वापस पहुंच जाती है। उदाहरण के लिए कूंएँ में आवाज लगाने पर अपनी ही आवाज थोड़ी देर बाद सुनाई पड़ती है।
प्रतिध्वनि सुनने के लिए श्रोता व परावर्तक के बीच कम-से-कम दूरी 17 मीटर (16.6mtr) होनी चाहिए। यदि यह दूरी इससे कम होगी,तो दोनो ध्वनियाँ मिल जायेंगी व हमे प्रतिध्वनि नहीं सुनाई देगी ।
प्रतिध्वनि की स्पष्टता ध्वनि के तीव्रता, परावर्तक के गुणों और श्रोता की स्थिति पर निर्भर करती है। यदि ध्वनि की तीव्रता अधिक होगी तो प्रतिध्वनि अधिक स्पष्ट सुनाई देगी। परावर्तक का चिकना होना भी प्रतिध्वनि की स्पष्टता में सहायक होता है। यदि श्रोता, परावर्तक के समीप होगा तो प्रतिध्वनि अधिक स्पष्ट सुनाई देगी।
प्रतिध्वनि का उपयोग कई क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे:
- सोनार: सोनार में ध्वनि के परावर्तन का उपयोग समुद्र में दूरी मापने के लिए किया जाता है।
- ध्वनि इंजीनियरिंग: ध्वनि इंजीनियरिंग में प्रतिध्वनि को कम करने के लिए उपाय किए जाते हैं, जैसे कि कमरे की दीवारों पर गद्दे लगाना।
- संगीत: संगीत में प्रतिध्वनि का उपयोग ध्वनि को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए किया जाता है।
प्रतिध्वनि एक प्राकृतिक घटना है जो हमारे जीवन में कई तरह से उपयोगी है।
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