सवाल: संविधान की अष्टम अनुसूची पर प्रकाश डालें।
भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची भारत की भाषाओं से संबंधित है। इस अनुसूची में 22 भारतीय भाषाओं को शामिल किया गया है। इन भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने का उद्देश्य भारत की बहुभाषी संस्कृति को संरक्षित करना और बढ़ावा देना है।
आठवीं अनुसूची में शामिल भाषाएँ निम्नलिखित हैं:
- असमिया
- बांग्ला
- बोडो
- डोगरी
- गुजराती
- हिंदी
- कन्नड़
- कश्मीरी
- कोंकणी
- मलयालम
- मणिपुरी
- मराठी
- मैथिली
- नेपाली
- ओडिशा
- पंजाबी
- संस्कृत
- सिंधी
- तमिल
- तेलुगु
- उर्दू
इन भाषाओं को दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है:
- संवैधानिक भाषाएँ
- ये भाषाएँ संघ और राज्य दोनों स्तरों पर आधिकारिक भाषाएँ हैं।
- इन भाषाओं का प्रयोग संघ और राज्य सरकारों द्वारा कानून, न्याय और प्रशासन के क्षेत्रों में किया जाता है।
- राज्य भाषाएँ
- ये भाषाएँ केवल राज्य स्तर पर आधिकारिक भाषाएँ हैं।
- इन भाषाओं का प्रयोग राज्य सरकारों द्वारा कानून, न्याय और प्रशासन के क्षेत्रों में किया जाता है।
आठवीं अनुसूची में शामिल भाषाओं को संवैधानिक मान्यता देने से भारत की बहुभाषी संस्कृति को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में मदद मिली है। इन भाषाओं को संविधान में स्थान देने से इन भाषाओं को एक आधिकारिक दर्जा प्राप्त हुआ है। इससे इन भाषाओं के विकास और प्रसार को प्रोत्साहन मिला है।
आठवीं अनुसूची के प्रावधानों के तहत, संघ और राज्य सरकारों को इन भाषाओं के विकास और प्रसार के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए। इन भाषाओं में शिक्षा, साहित्य, संस्कृति और कला को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए।
आठवीं अनुसूची के कुछ महत्वपूर्ण प्रावधान निम्नलिखित हैं:
- संघ और राज्य सरकारों को इन भाषाओं में कानून बनाने का अधिकार है।
- संघ और राज्य सरकारों को इन भाषाओं में न्यायिक कार्यों को करने का अधिकार है।
- संघ और राज्य सरकारों को इन भाषाओं में प्रशासनिक कार्यों को करने का अधिकार है।
आठवीं अनुसूची भारत की बहुभाषी संस्कृति की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इस अनुसूची ने भारत की भाषाओं को एक आधिकारिक दर्जा प्रदान किया है और इनके विकास और प्रसार को बढ़ावा दिया है।
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