अपक्षय किसे कहते हैं अपक्षय के प्रकारों का वर्णन कीजिए? Apeksha kise kahte hai apple ke prakaro ka varnan kijiye
सवाल: अपक्षय किसे कहते हैं अपक्षय के प्रकारों का वर्णन कीजिए?
अपक्षय: परिभाषा और प्रकार
अपक्षय वह प्रक्रिया है जिसमें चट्टानें, खनिज और मिट्टी बाहरी कारकों के प्रभाव से टूटती-फूटती हैं और छोटे-छोटे कणों में बदल जाती हैं। यह प्रक्रिया धीमी और क्रमिक होती है। अपक्षय के कारण चट्टानें और मिट्टी नदियों, झीलों और समुद्रों में बह जाते हैं और भू-आकृतियों का निर्माण होता है।
अपक्षय के प्रकार:
1. यांत्रिक अपक्षय: यांत्रिक अपक्षय में चट्टानें और मिट्टी बिना किसी रासायनिक परिवर्तन के टूटती-फूटती हैं। यांत्रिक अपक्षय के मुख्य प्रकार हैं:
- तापमान परिवर्तन: तापमान में परिवर्तन के कारण चट्टानों में दरारें पड़ जाती हैं और वे टूट जाती हैं।
- ठंढ: ठंड के कारण पानी जम जाता है और चट्टानों में दरारें पड़ जाती हैं।
- पानी: बहता पानी चट्टानों को घिसकर छोटे-छोटे कणों में बदल देता है।
- हवा: हवा में उड़ने वाले कण चट्टानों को घिसकर छोटे-छोटे कणों में बदल देते हैं।
- जीव: पेड़ों की जड़ें चट्टानों को तोड़ सकती हैं और जानवर मिट्टी को खोद सकते हैं।
2. रासायनिक अपक्षय: रासायनिक अपक्षय में चट्टानें और मिट्टी रासायनिक प्रतिक्रियाओं के कारण टूटती-फूटती हैं। रासायनिक अपक्षय के मुख्य प्रकार हैं:
- जल अपक्षय: पानी चट्टानों में घुलकर उन्हें कमजोर बना देता है।
- ऑक्सीकरण: ऑक्सीजन के संपर्क में आने से चट्टानें और मिट्टी में रासायनिक परिवर्तन होता है और वे टूट जाते हैं।
- कार्बनीकरण: वायुमंडल में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड पानी के साथ मिलकर कार्बोनिक अम्ल बनाता है, जो चट्टानों को घोल देता है।
3. जैविक अपक्षय: जैविक अपक्षय में जीवों द्वारा चट्टानों और मिट्टी को तोड़ा जाता है। जैविक अपक्षय के मुख्य प्रकार हैं:
- पेड़ों की जड़ें: पेड़ों की जड़ें चट्टानों को तोड़ सकती हैं और मिट्टी को खोद सकती हैं।
- जानवर: जानवर मिट्टी को खोद सकते हैं और चट्टानों को तोड़ सकते हैं।
- सूक्ष्मजीव: सूक्ष्मजीव चट्टानों और मिट्टी को तोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
निष्कर्ष:
अपक्षय एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक प्रक्रिया है जो भू-आकृतियों के निर्माण और मिट्टी के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। अपक्षय के तीन मुख्य प्रकार हैं: यांत्रिक अपक्षय, रासायनिक अपक्षय और जैविक अपक्षय।
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