श्रृंगार पर क रासा काव्य क्या है? रासो काव्य की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
सवाल: श्रृंगार पर क रासा काव्य क्या है? रासो काव्य की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
श्रृंगार पर क रासा काव्य क्या है?
श्रृंगार पर 'क' रासो काव्य प्रेम और शृंगारिक भावनाओं पर आधारित एक प्रकार का काव्य है। यह रासो काव्य की एक उप-शैली है, जो मूल रूप से वीर रस काव्य होता है।
रासो काव्य की विशेषताएं:
- भाषा: रासो काव्य में डिंगल और पिंगल भाषा का प्रयोग होता है।
- छंद: रासो काव्य में रासक छंद का प्रयोग होता है, जिसके साथ अन्य छंदों का भी प्रयोग किया जाता है।
- वीर रस: रासो काव्य में वीर रस का वर्णन प्रमुख होता है।
- युद्ध: रासो काव्य में युद्ध का वर्णन प्रमुख होता है।
- शृंगार रस: 'क' रासो काव्य में शृंगार रस का वर्णन भी प्रमुख होता है।
- प्रेम: 'क' रासो काव्य में प्रेम का वर्णन प्रमुख होता है।
- नायक-नायिका: 'क' रासो काव्य में नायक-नायिका का वर्णन प्रमुख होता है।
- आलंकारिक भाषा: 'क' रासो काव्य में आलंकारिक भाषा का प्रयोग होता है।
उदाहरण:
- पृथ्वीराज रासो
- बीसलदेव रासो
- अल्हा खंड
निष्कर्ष:
श्रृंगार पर 'क' रासो काव्य एक महत्वपूर्ण काव्य शैली है, जो प्रेम और शृंगारिक भावनाओं का वर्णन करती है। यह रासो काव्य की एक उप-शैली है, जो मूल रूप से वीर रस काव्य होता है।
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