गालिब ने अक्षर में अक्षर की महिमा किस तरह जोड़ी? Ghalib ne akshar ki mahima kis tarah jodi
सवाल: गालिब ने अक्षर में अक्षर की महिमा किस तरह जोड़ी?
गालिब, उर्दू के महान कवि मिर्ज़ा ग़ालिब, अपनी शायरी में अक्षरों की महिमा को अत्यंत सुंदर रूप में जोड़ते थे। उन्होंने अपनी रचनाओं में अक्षरों के माध्यम से जीवन के रहस्यों, भावनाओं, और विचारों को व्यक्त किया। उनकी भाषा और लक्ष्य में एकरूपता के कारण ही गालिब की बोली ही आज हमारी बोली बन गई है। उन्होंने अपने शायरी में अक्षरों की महिमा को व्यापक अर्थ में जनहित में उद्घाटित किया। गालिब के शब्दों से शब्द जोड़कर उन्होंने अपने विचारों को सारगर्भित रूप में प्रस्तुत किया, जिसने उन्हें भारतीय साहित्य के कवियों में प्रतिष्ठित बनाया।
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