सवाल: जल की कठोरता से आप क्या समझते हैं?
जल की कठोरता:
जल की कठोरता पानी में घुले हुए खनिज पदार्थों, विशेष रूप से कैल्शियम और मैग्नीशियम के यौगिकों, की मात्रा को दर्शाती है।
जल की कठोरता को दो प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है:
- स्थायी कठोरता: यह पानी में घुले हुए कैल्शियम और मैग्नीशियम के सल्फेट और क्लोराइड यौगिकों के कारण होती है।
- अस्थायी कठोरता: यह पानी में घुले हुए कैल्शियम और मैग्नीशियम के बाइकार्बोनेट यौगिकों के कारण होती है।
जल की कठोरता के कुछ प्रभाव:
- साबुन का झाग कम बनना: कठोर पानी में साबुन के साथ पानी में घुले हुए खनिज पदार्थ प्रतिक्रिया करते हैं, जिससे साबुन का झाग कम बनता है।
- बर्तन पर जमा: कठोर पानी में बर्तन धोने से बर्तन पर खनिज पदार्थों का जमा हो सकता है।
- त्वचा पर जलन: कठोर पानी त्वचा को रूखा और खुजलीदार बना सकता है।
- बॉयलर और पाइप में जमा: कठोर पानी बॉयलर और पाइप में खनिज पदार्थों का जमा हो सकता है, जिससे उनकी कार्यक्षमता कम हो सकती है।
जल की कठोरता को कम करने के कुछ तरीके:
- उबालना: पानी को उबालने से अस्थायी कठोरता कम हो जाती है, क्योंकि बाइकार्बोनेट यौगिक उबलने पर टूट जाते हैं।
- आयन विनिमय रेजिन: यह एक प्रकार का रेजिन है जो पानी से कैल्शियम और मैग्नीशियम आयनों को हटा देता है।
- रिवर्स ऑस्मोसिस: यह एक तकनीक है जो पानी से सभी अशुद्धियों को हटा देती है, जिसमें खनिज पदार्थ भी शामिल हैं।
निष्कर्ष:
जल की कठोरता पानी की गुणवत्ता को प्रभावित करती है। यह कई समस्याएं पैदा कर सकती है, जैसे कि साबुन का झाग कम बनना, बर्तन पर जमा, त्वचा पर जलन, और बॉयलर और पाइप में जमा।
जल की कठोरता को कम करने के लिए कई तरीके उपलब्ध हैं, जैसे कि उबालना, आयन विनिमय रेजिन, और रिवर्स ऑस्मोसिस.
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