शांत रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए?
सवाल: शांत रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए?
शांत रस भारतीय काव्यशास्त्र में एक प्रमुख रस है, जिसका अर्थ होता है 'शांति' या 'शांति की अनुभूति'। इसे 'निर्वेद' (वैराग्य) का रस भी कहा जाता है, जहाँ मनुष्य संसार की भौतिक वस्तुओं और तृष्णाओं से मुक्त होकर शांति और संतोष की अनुभूति करता है।
परिभाषा: शांत रस वह भाव है जो दर्शक या पाठक के मन में शांति, धैर्य, और संतोष की भावना उत्पन्न करता है। यह आमतौर पर उन स्थितियों में प्रकट होता है जहाँ व्यक्ति संसार की मोह-माया से मुक्त होकर आत्मज्ञान और मोक्ष की दिशा में अग्रसर होता है।
उदाहरण: वाल्मीकि रामायण में भगवान राम का वनवास जाने का दृश्य शांत रस का उत्कृष्ट उदाहरण है। राम का राज्य और सुख-सुविधाओं को त्याग कर वनवास के लिए प्रस्थान करना और इस त्याग में उनकी मन की शांति और संतोष को दर्शाया गया है। इस दृश्य में राम का वैराग्य और शांति का अनुभव होता है, जो शांत रस को प्रकट करता है।
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