सवाल: संप्रभुता के दो लक्षणों का वर्णन करें?
संप्रभुता एक राज्य की सर्वोच्च शक्ति का प्रतिनिधित्व करने वाली एक अवधारणा है। यह राज्य को अपने अंदरूनी मामलों को नियंत्रित करने और बाहरी दुनिया से संबंध स्थापित करने की क्षमता प्रदान करती है। संप्रभुता के दो प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं:
अनन्यता
अनन्यता का अर्थ है कि एक राज्य के भीतर केवल एक ही प्रभुशक्ति हो सकती है। यह शक्ति किसी अन्य राज्य या संगठन को नहीं दी जा सकती है। यदि एक राज्य के भीतर एक से अधिक प्रभुशक्तियां होंगी, तो राज्य की एकता और स्थिरता को खतरा होगा।
उदाहरण के लिए, यदि एक राज्य के भीतर एक केन्द्रीय सरकार और एक स्थानीय सरकार दोनों को समान अधिकार दिए गए हैं, तो यह राज्य की एकता को कमजोर कर सकता है।
अविभाज्यता
अविभाज्यता का अर्थ है कि संप्रभुता एक पूर्ण और अखंड शक्ति है। इसे किसी भी तरह से विभाजित या बाँटा नहीं जा सकता है। यदि संप्रभुता को विभाजित किया जाएगा, तो यह राज्य की सर्वोच्च शक्ति को कमजोर कर देगा।
उदाहरण के लिए, यदि एक राज्य की संप्रभुता को दो या दो से अधिक हिस्सों में विभाजित किया जाएगा, तो यह राज्य की स्वतंत्रता और समानता को कमजोर करेगा।
इन दो लक्षणों के अलावा, संप्रभुता के अन्य लक्षण भी हैं, जैसे:
- निष्क्रियता: संप्रभुता एक सक्रिय शक्ति नहीं है, बल्कि यह एक स्थिति है। यह राज्य को अपने अंदरूनी मामलों और बाहरी दुनिया से संबंधों को नियंत्रित करने की क्षमता प्रदान करती है।
- स्थायित्व: संप्रभुता एक स्थिर शक्ति है। यह समय के साथ बदलती नहीं है।
- सार्वभौमिकता: संप्रभुता एक सार्वभौमिक शक्ति है। यह सभी राज्यों पर लागू होती है, चाहे उनकी आकार या शक्ति कुछ भी हो।
संप्रभुता आधुनिक अंतर्राष्ट्रीय कानून का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है। यह राज्यों की स्वतंत्रता और समानता की गारंटी देता है।
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