बलबन के राजत्व सिद्धांत का वर्णन कीजिए? Balban ke Rajatava Siddhant ka Varnan kijiye

बलबन के राजत्व सिद्धांत का वर्णन कीजिए?


सवाल: बलबन के राजत्व सिद्धांत का वर्णन कीजिए? 

बलबन के राजत्व सिद्धांत, जिसे बलबनवाद भी कहा जाता है, एक राजनीतिक सिद्धांत है जो शक्ति के आधार पर सत्ता की प्राप्ति और संरक्षण को प्रमुख मानता है। इस सिद्धांत के अनुसार, राज्य की सत्ता और प्रभुत्व वही धारण करता है जिसके पास सरकार के प्रशासनिक, सैन्य और आर्थिक बल की सबसे अधिकतम संपत्ति होती है। यह सिद्धांत राजनीतिक व्यवस्था को उन देशों में अपनाया जाता है जहां सत्ताधारी ताकतें अपनी प्राथमिकता को ध्यान में रखती हैं और अपने हाथ में शक्ति को संचालित करके राष्ट्रीय निर्माण को सुनिश्चित करने का प्रयास करती हैं।


बलबनवाद का मुख्य उद्देश्य सत्ता और अधिकार की बहिष्कार करने वाले तत्वों को दबाना और नये सत्ताधारी ताकतों को स्थापित करना होता है। इसमें सरकारी और अर्धसरकारी राजनीतिक दलों द्वारा संगठन की जाती है जो राजनीतिक विद्रोह, सैनिक बल का उपयोग और आर्थिक सत्ता के माध्यम से सत्ता का अधिकार प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। इस सिद्धांत के अनुसार, राजनीतिक दलों को सत्ता की प्राप्ति के लिए नकारात्मक तरीकों का उपयोग करना पड़ता है, जैसे कि राजनीतिक विद्रोह, संघर्ष और आर्थिक दबाव। इस प्रकार, सत्ताधारी ताकतें सत्ता को अपने पक्ष में बांधने और संरक्षित करने के लिए विभिन्न तरीकों का प्रयास करती हैं।


बलबनवाद राजनीतिक संप्रभुता और निरंतरता को बढ़ावा देता है। इसे सामान्यतया अधिकांशतः विश्वास के रूप में स्वीकारा जाता है कि सत्ताधारी ताकतें सबसे अधिक योग्य हैं और राज्य के प्रभुत्व को बनाए रखने के लिए उच्चतम स्तर की संपत्ति और संसाधनों के प्रबंधन करने में सक्षम हैं। इस सिद्धांत का पालन करने वाली सरकारें अपनी शक्ति को बनाए रखने के लिए नये सत्ताधारी ताकतों को प्रोत्साहित करती हैं, जो समाज की विभिन्न वर्गों और समूहों के आधार पर समर्थन प्राप्त करती हैं। इस प्रकार, बलबनवाद राजनीतिक सिद्धांत विभिन्न ताकतों के राष्ट्रीय निर्माण और नये सत्ताधारी ताकतों की स्थापना की दिशा में काम करता है।

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