पथिक जल्दी जल्दी क्यों चलता है? Pathik jaldee jaldee kyon chalata hai?

सवाल: पथिक जल्दी जल्दी क्यों चलता है?

उपरोक्त लिखी पंक्तियां पथिक जल्दी-जल्दी क्यों चलता है कवि डॉ हरिवंश राय बच्चन द्वारा लिखी गई है इस कविता कि कुछ चंद पंक्तियां इस प्रकार है

हो जाए ना पथ में रात कही, मंजिल भी तो है दूर नहीं सोच दिन का पंथी भी जल्दी-जल्दी चलता है।

जल्दी जल्दी ढलता है!बच्चे प्रत्याशा में होंगे निडो से झांक रहे होंगे यह ध्यान परों में चिड़ियों के भरता कितनी चंचलता है!दिन जल्दी-जल्दी ढलता है! उपरोक्त कविता में पथिक जल्दी-जल्दी इसलिए चलता है ताकि वह अपनी मंजिल तक पहुंच सके।

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