भाव पल्लवन की तीन विशेषताएं लिखिए? Bhav pallavan ki tin visestaye likhiye


सवाल: भाव पल्लवन की तीन विशेषताएं लिखिए?

भाव पल्लवन का अर्थ है किसी भाव का विस्तार करना। इसमें किसी उक्ति, वाक्य, सूक्ति, कहावत, लोकोक्ति आदि के अर्थ को विस्तार से प्रस्तुत किया जाता है। भाव पल्लवन की तीन प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

  • कल्पनाशीलता: भाव पल्लवन करते समय लेखक कल्पनाशीलता का सहारा लेता है। कल्पना के सहारे सूक्ति अथवा उद्धरण का भाव विस्तार करता है। परंतु पल्लवन में विषय का विस्तार एक निश्चित सीमा के अंतर्गत किया जाता है।
  • मौलिकता: भाव पल्लवन में मौलिकता का ध्यान रखा जाता है। पल्लवन में मूल विचार को न बदलते हुए, उसे नए रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
  • सर्जनात्मकता: भाव पल्लवन में लेखक को सर्जनात्मकता का अवसर व संतोष दोनों मिलते हैं। पल्लवन में लेखक अपने ज्ञान, अनुभव, और कल्पना का उपयोग करके एक नवीन और सार्थक अर्थ प्रस्तुत करता है।

इनके अतिरिक्त, भाव पल्लवन की अन्य विशेषताएं भी हैं, जैसे:

  • प्रवाहमयता: भाव पल्लवन लेखन में प्रवाहमयता होना आवश्यक है। लेखक इस बात का ध्यान रखता है कि पाठक को पढ़ते समय बीच-बीच में किसी प्रकार का अवरोध अनुभव न हो।
  • भाषा-शैली: भाव पल्लवन करते समय लेखक को भाषा ज्ञान व भाषा का विस्तार जानना आवश्यक है। पल्लवन में सरल और सुबोध भाषा का प्रयोग किया जाता है।
  • स्पष्टता: भाव पल्लवन में स्पष्टता का होना अति आवश्यक है। जिस भी विचार, अंश, लोकोक्ति आदि का पल्लवन किया जा रहा है, केंद्र में वही रहना चाहिए। पाठक को पल्लवन पढ़ते समय ऐसा प्रतीत न हो कि मूल विचार कुछ और है, जबकि पल्लवन का प्रवाह किसी अन्य दिशा में जा रहा है।

भाव पल्लवन एक महत्वपूर्ण साहित्यिक कला है। इसका उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाता है, जैसे:

  • किसी विचार को स्पष्ट करना
  • किसी भाव को उजागर करना
  • किसी कहानी या कविता को अधिक प्रभावी बनाना
  • किसी भाषा या साहित्य की समझ को बढ़ाना
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