लेखक राहुल सांकृत्यायन ने डाकुओं से बचने के लिए कौन सा साधन अपनाया? Lekhak rahul sankrityayan ne dakuo se bachne ke liye kon saa saadhn apnaya


सवाल: लेखक राहुल सांकृत्यायन ने डाकुओं से बचने के लिए कौन सा साधन अपनाया?

लेखक राहुल सांकृत्यायन ने तिब्बत की अपनी यात्रा के दौरान डाकुओं से बचने के लिए एक अनोखा साधन अपनाया। उन्होंने भिखारी का वेश धारण कर लिया। जब भी डाकू रास्ते में मिलते तो वह अजीबोगरीब सूरत बनाकर टोपी उतार कर, जीभ निकालकर कुचि-कुचि एक पैसा यानि दया-दया एक पैसा जैसा शब्द बोलने लगते। डाकू भिखारी समझते इसलिए उनसे कुछ नहीं बोलते। इस तरह डाकू आदि के मिलने पर भी भी डाकुओं ने उनको कुछ नहीं कहा और वह सुरक्षित उसे खतरनाक रास्ते से निकल आए।

राहुल सांकृत्यायन को पता था कि तिब्बत की उनकी यात्रा के दौरान डांडे नामक जगह पर डाकुओं का आतंक रहता है और डाकू आते-जाते राहगीरों को लूट लेते हैं। इसीलिए उन्होंने जब अपनी यात्रा पर जा रहे थे तो उन्होंने भिखारी का भेष बना लिया। यह एक बहुत ही चतुराई भरा उपाय था, जिससे राहुल सांकृत्यायन डाकुओं से बचने में सफल रहे।

राहुल सांकृत्यायन के इस साधन को बहुत ही सराहनीय माना जाता है। यह एक प्रेरणादायक कहानी है, जो हमें सिखाती है कि हम किसी भी समस्या से बचने के लिए चतुराई और साहस का प्रयोग कर सकते हैं।

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