आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय? Aacharya hajari prasad devendra ka jivan parichye
Thursday, February 01, 2024
Add Comment
सवाल: आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय?
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय:
जन्म: 19 अगस्त 1907, बलिया, उत्तर प्रदेश मृत्यु: 19 मई 1979, दिल्ली शिक्षा: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय कार्य: हिंदी साहित्यकार, इतिहासकार, नाटककार, भाषाविद्, शिक्षाविद् प्रमुख कृतियाँ:
- उपन्यास: बाणभट्ट की आत्मकथा, अनामिका, चारुचंद्र लेख
- कहानी संग्रह: कथा-कहानी, मोतीझील की राधिका
- निबंध संग्रह: विचार और वीणा, हिंदी साहित्य का इतिहास
- नाटक: चंद्रगुप्त, अशोक
- आलोचना: हिंदी साहित्य का आदिकाल, हिंदी साहित्य का इतिहास
जीवन:
- हजारी प्रसाद द्विवेदी का जन्म 19 अगस्त 1907 को बलिया, उत्तर प्रदेश में हुआ था।
- उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की।
- वे हिंदी साहित्य के एक प्रमुख साहित्यकार, इतिहासकार, नाटककार, भाषाविद् और शिक्षाविद् थे।
- उन्होंने उपन्यास, कहानी, निबंध, नाटक, आलोचना, इतिहास, संस्कृति, भाषाविज्ञान आदि विषयों पर लिखा।
- उनकी प्रमुख कृतियों में बाणभट्ट की आत्मकथा, अनामिका, चारुचंद्र लेख, कथा-कहानी, मोतीझील की राधिका, विचार और वीणा, हिंदी साहित्य का इतिहास, चंद्रगुप्त, अशोक, हिंदी साहित्य का आदिकाल आदि शामिल हैं।
- उन्हें 1957 में पद्म भूषण और 1973 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
- 19 मई 1979 को उनका दिल्ली में निधन हो गया।
उपलब्धियाँ:
- हिंदी साहित्य के इतिहास में द्विवेदी जी का महत्वपूर्ण स्थान है।
- उन्होंने हिंदी साहित्य को विभिन्न प्रकार की रचनाओं से समृद्ध किया।
- उनकी रचनाओं में इतिहास, संस्कृति, भाषाविज्ञान आदि विषयों का गहन ज्ञान झलकता है।
- वे एक उत्कृष्ट शिक्षाविद् भी थे और उन्होंने हिंदी साहित्य के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
द्विवेदी जी की रचनाओं की विशेषताएं:
- द्विवेदी जी की रचनाओं में भाषा का सरल और सुबोध प्रयोग हुआ है।
- उनकी रचनाओं में इतिहास, संस्कृति, भाषाविज्ञान आदि विषयों का गहन ज्ञान झलकता है।
- उनकी रचनाओं में मानवीय भावनाओं का सजीव चित्रण हुआ है।
- उनकी रचनाओं में राष्ट्रीय चेतना और सामाजिक सुधार की भावना भी है।
निष्कर्ष:
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी हिंदी साहित्य के एक महान साहित्यकार थे। उनकी रचनाओं ने हिंदी साहित्य को समृद्ध किया और हिंदी भाषा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
0 Komentar
Post a Comment