रीतिकाल को श्रृंगार काल क्यों कहा गया है लिखिए? Ritikal ko shringar kal kyu kaha gaya hai likhiye
सवाल: रीतिकाल को श्रृंगार काल क्यों कहा गया है लिखिए?
रीतिकाल को श्रृंगार काल कहने के पीछे कई कारण हैं:
1. श्रृंगार रस की प्रधानता: रीतिकालीन कविता में श्रृंगार रस की प्रधानता थी। रीतिकालीन कवियों ने श्रृंगार रस के विभिन्न पहलुओं का वर्णन किया, जैसे कि प्रेम, विरह, सौंदर्य, और कामुकता।
2. नारी सौंदर्य का वर्णन: रीतिकालीन कवियों ने नारी सौंदर्य का अत्यंत मनोरम और विस्तृत वर्णन किया। उन्होंने नारी के विभिन्न अंगों और उनकी सुंदरता का वर्णन किया।
3. अलंकारों का प्रयोग: रीतिकालीन कवियों ने अलंकारों का अत्यधिक प्रयोग किया। उन्होंने अलंकारों का प्रयोग कविता को सुंदर और प्रभावशाली बनाने के लिए किया।
4. भाषा और शैली: रीतिकालीन कविता की भाषा और शैली अत्यंत परिष्कृत और कलापूर्ण थी। रीतिकालीन कवियों ने भाषा और शैली का प्रयोग कविता को प्रभावशाली और मनोरंजक बनाने के लिए किया।
5. प्रेम की विभिन्न स्थितियों का वर्णन: रीतिकालीन कवियों ने प्रेम की विभिन्न स्थितियों का वर्णन किया, जैसे कि प्रेम में पड़ना, विरह, मिलन, और प्रेम का चरम रूप।
6. रीतिकालीन कवियों के नाम: रीतिकालीन कवियों में बिहारी, केशवदास, देव, भूषण, मतिराम, और रसखान आदि प्रमुख हैं।
उदाहरण:
- बिहारी की कविता "सौंदर्य लहरी" में नारी सौंदर्य का अत्यंत मनोरम वर्णन किया गया है।
- केशवदास की कविता "रसिकप्रिया" में प्रेम की विभिन्न स्थितियों का वर्णन किया गया है।
निष्कर्ष:
रीतिकाल को श्रृंगार काल कहना उचित है क्योंकि इस काल में श्रृंगार रस की प्रधानता थी। रीतिकालीन कवियों ने श्रृंगार रस के विभिन्न पहलुओं का वर्णन किया, और उन्होंने नारी सौंदर्य का अत्यंत मनोरम और विस्तृत वर्णन किया।
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