भारतीय राज्य की प्रकृति से क्या तात्पर्य है? Bhartiya rajya ki prakriti se kya tatparya hai
सवाल: भारतीय राज्य की प्रकृति से क्या तात्पर्य है?
प्राचीन समय से ही भारत में सामाजिक सुरक्षा एवं व्यवस्था को बनाए रखने के लिए राज्यों की जरूरतों को समझा गया है। ऐसी मान्यता के यदि अपराधियों को दंड नही दिया जाए तो, समाज में नकारात्मक उत्पन्न हो जाती हैं, जिससे कि लोग गलत कार्य करने प्रारंभ कर देते हैं। दंड के डर से मनुष्य सही के मार्ग पर चलता रहता है। तथा व न्याय का रक्षण प्राप्त होता है। जिससे कि उसे कोई हानि नहीं पहुंचा सकता हैं। भारत के महाग्रंथ महाभारत में कहा गया है कि यदि दंड देने वाला राजा ना हो तो पृथ्वी पर बलवान लोग निर्बल का उसी तरह भक्षण करेंगे, जिस तरह बड़ी मछली छोटी मछली का भक्षण करते हैं। चाणक्य ने भी इसके बारे में अपने भी विचार बताए हैं कि, व्यवस्था के कमी में मछली की न्याय की स्थिति पैदा हो जाती है, जिसमें की बड़ी मछली हमेशा छोटी मछली को खा जाती हैं, उसी तरह बलवान मनुष्य निर्बल मनुष्य को पीड़ित करता रहेगा। भारतीय राज्य की प्रकृति के अनुसार राज्य के इन 4 कार्यों के अंतर्गत रखा गया है। 1 सामाजिक कार्य, 2 आर्थिक कार्य, 3 नैतिक या धार्मिक कार्य।
Bhartiy rajy ki Prakrit se kya tatpary h
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