द्विवेदी युग की प्रमुख विशेषताएं? Dwivedi yug ki pramukh visheshtayen
सवाल: द्विवेदी युग की प्रमुख विशेषताएं?
द्विवेदी युग, जिसे वैदिक काल भी कहा जाता है, भारतीय साहित्य का एक महत्वपूर्ण युग है जो लगभग 1500 ईसा पूर्व से 600 ईसा पूर्व तक स्थित होता है। इस युग की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
1. वैदिक साहित्य: द्विवेदी युग में वैदिक साहित्य का उदय हुआ, जिसमें वेदों की रचनाएं, ब्राह्मण, आरण्यक, उपनिषद, और ब्रह्मसूत्र शामिल हैं। इन लेखों में धार्मिक और दार्शनिक विचार, ऋषि-मुनि के जीवन की कथाएं, विज्ञान, ज्योतिष, यज्ञ, और धर्मशास्त्र से संबंधित ज्ञान शामिल होता है।
2. यज्ञ और ऋतुराज: द्विवेदी युग में यज्ञ की प्रमुखता थी। यज्ञ को धार्मिक, सामाजिक, और आर्थिक दृष्टिकोण से महत्व दिया जाता था। इसके साथ ही, ऋतुराज यानी ऋतुओं का महत्वपूर्ण स्थान था। यह ऋतुओं के साथ आदर्शिक जीवन, प्रकृति के साथ संबंध, और जीवन की विविधता का प्रतीक है।
3. ब्राह्मण पद्धति: द्विवेदी युग में ब्राह्मण पद्धति का प्रचलन था। इस पद्धति में ब्राह्मणों को यज्ञ के प्रमुख आयोजन करने और वेद मंत्रों का अध्ययन करने का कार्य सौंपा जाता था। ब्राह्मण ग्रंथों में यज्ञ के विधान, मंत्रों का व्याख्यान, और धर्मसंबंधी सूत्रों की व्याख्या की जाती थी।
द्विवेदी युग में वैदिक साहित्य का उदय हुआ, जहां वेदों, यज्ञ, ऋतुराज, और ब्राह्मण पद्धति को महत्व दिया गया। यह युग हिंदी साहित्य के मूल आधार और धार्मिक चिंतन की उत्पत्ति का अवधारणात्मक परिचय प्रदान करता है।
0 Komentar
Post a Comment